Saturday, May 08, 2010

हदें

तुमने फिर से
वही किया
फिर से वही झूठ
फिर वही वादा
फिर वही मुआफ़ी
फिर वही रंजिश
फिर वही जुनून

कितनी बार मैं
करूँगा इंतज़ार तेरा
कितनी बार होऊंगा रुसवा
कितनी बार तुम
करोगे मुझे उदास

मालूम है तुम्हें
दर्द की भी
होती है हदें

गर नहीं हैं हदें तो..
तेरी वादाखिलाफी की.

3 comments:

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

वाह भई बहुत सुंदर.

Dharni said...

धन्यवाद काजल जी!

Unknown said...

jindgi kabhi kabhi aise hi mod per lakar khada kar deti hai.......