Wednesday, May 12, 2010

बुनियादें बदल गईं

तुमने कहा के
करनी है कुछ बातें -

कहते हो कि
अब तुम नहीं जवाबदेह
अपने रिश्ते की
बदल गईं बुनियादें बेतरतीब

क्या करूँ नई शुरुआत
जब पुरानी बातें ही
ख़त्म न हो पाईं

अच्छा है के
न हो वो आखरी मुलाक़ात
न तुम्हें शर्मिंदा होना पड़ेगा
न हमें होना पड़ेगा जवाबदेह
के हम तुम्हारे
क्यों न हो सके.

4 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत शानदार!!


एक विनम्र अपील:

कृपया किसी के प्रति कोई गलत धारणा न बनायें.

शायद लेखक की कुछ मजबूरियाँ होंगी, उन्हें क्षमा करते हुए अपने आसपास इस वजह से उठ रहे विवादों को नजर अंदाज कर निस्वार्थ हिन्दी की सेवा करते रहें, यही समय की मांग है.

हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार में आपका योगदान अनुकरणीय है, साधुवाद एवं अनेक शुभकामनाएँ.

-समीर लाल ’समीर’

Dharni said...

धन्यवाद गुरुदेव!
बहुत कोसिस की बट ससुरा आज तक कोनो विवाद-फिवाद न खड़ा कर पाए! अरे हमहू फेमस होना चाहते थे! जैसे हम विवादों को नज़रअंदाज़ करते रहे...विवाद हमको इगनोर करते रहे. कोसिस जारी रहेगी ...आप हौसला बढ़ाते रहें इसी तरह!

vandana gupta said...

waah ........bahut khoob.

Dharni said...

वंदना जी, आपने पसंद किया, हमारा प्रयास सार्थक हुआ! धन्यवाद!