Monday, March 01, 2010

दूर क्षितिज पर

देखा है प्यार को ..धुंधलाते हुए?
खालीपन का एहसास
उदासी मौनता शून्यता
वापस आने का कोई रास्ता नहीं
बस थोड़ी सी आशा
आँखों में
तुम दूर दिख रहे हो
क्षितिज पर
पास आ रहे हो, या दूर जा रहे हो ?
नतीजा मालूम है
कि तुमको मेरे लिए कोई नहीं ला सकता
क्या कोई आखरी मुलाक़ात भी होगी?

4 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत गहरी भावाव्यक्ति.

निर्मला कपिला said...

बहुत गहरे भाव। धन्यवाद

Dharni said...

धन्यवाद मित्रो!वैसे यह मेरी एक अंग्रेज़ी में लिखी कविता का हिन्दी अनुवाद है.

Dharni said...

धन्यवाद संजय जी!