Saturday, November 19, 2005

तेरी चाहत

तेरी चाहत का असर ऐसा हुआ,
मैं तुम्हारे प्यार में शायर हुआ।

मैं तो पहले से ही कुछ बदनाम था ,
जुड़ा तेरा नाम तो बदतर हुआ।

दिल में तेरे जगह थी मेरे लिये,
तेरी रुसवाई से मैं बेघर हुआ।

तू भी तड़पा था बहुत या के नहीं,
जब मेरे सीने में एक ख़ंज़र हुआ।

तेरी फिक्रों में गुज़रता वक़्त है,
कब मैं तेरे ख़्याल से बाहर हुआ।

2 comments:

अनूप शुक्ल said...

मैं तो पहले से ही कुछ बदनाम था ,
जुड़ा तेरा नाम तो बदतर हुआ।

बड़े कठिन दौर से गुजरना हो रहा है! काफी दिन बाद देखा यह ब्लाग।फोटो बढ़िया लगी जो मोबाइल से खींची। लिखते रहें हम पढ़ रहे हैं।

Dharni said...

हौसला आफज़ाई के लिये शुक्रिया! आपने शेर के दर्द को समझा- जानकर अच्छा लगा मेरी कोशिश सार्थक हुई। आप पढ़ते रहिये हम लिखते रहेंगे!