अंतर्मन
अपने विचार
Sunday, January 24, 2016
सुविचार
त्वमादि देवः पुरुषः पुराण स्त्वमस्य विश्वस्य परं निधानम्।
वेत्तासि वेद्यं च परं च धाम त्वया ततं विश्व मनन्तरूप॥
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