Sunday, December 30, 2012

कुछ क्षुब्ध शेर

इस बार नया साल कुछ और ही है
ख़ूँ-ए-रग में जमाल कुछ और ही है 

टूटे पैमाने का ग़म न गिले - शिक़वे
आज साक़ी से सवाल कुछ और ही है 


(DD 30 Dec 2012)

1 comment:

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

सही में, इस बार बात कुछ और ही है