जी हाँ, विश्व के उस कोने में जहां मैं रहता हूं, वसंत काआगमन अब शुरु हुआ है...मुझे याद आ रही है स्कूल में लिखी मेरी कविता की कुछ पंक्तियाँ याद आ रही हैं-
"आया प्यारा वसंत"
पेड़ों पर पात नये,
भँवरोँ के दिन बहुरे,
कुसुमित हैं दिग-दिगंत -
आया प्यारा वसंत।
आगे की पंक्तियाँ नहीं याद आ रहीं....
3 comments:
बहुत सुन्दर पन्क्ति है, आप अपना लेखन अब जारी रखें।
बहुत खूब !
दीपक और मनीष जी बहुत बहुत धन्यवाद हौसला आफज़ाई के लिये। हिन्दी चिट्ठा जगत में आप लोगों को देख कर खुशी हुई...फुर्सत मिल्ते ही आगे बातें करेंगे...यहाँ पर दस्तक देते रहियेगा।
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