पिछले कुछ दिनों से बहुत व्यस्त हो गया हूँ अतः कुछ लिख नहीं पाया। आज 1680 ए एम रेडिओ पर शाम को सत्यनारायण कथा सुनी। हर्ष भी हुआ आश्चर्य भी।
कुछ दिनो पहले अरोड़ा जी सपरिवार पास में ही आये थे..परंतु मिल नहीं सका! पिछले सप्ताहांत पर पिट्सबर्ग गया था...फिर ऐसे ही दिन गुज़रते गये..विचार आते गये...लपक-लपक कर पकड़ने की कोशिश करता रहा विचारों को...कल कुछ आगे लिखने की कोशिश करूंगा। हिन्दी एवं अन्य भाषाओं के बारे में विचार-विमर्श के लिये एक नया चिट्ठा बनाया है..इस बारे में फिर कभी...अभी तो सुबह के 2 बज गये हैं। शुभ रात्रि!
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